ठंड के मौसम में डिप्रेसन क्यों बढ़ रहा है, why depression increased during winter season
ठंड के मौसम में हमे अक्सर रजाई में दुबके रहना पसंद करते हैं और अगर हम दिनभर ही रजाई में रहते हैं तो यह चिंता का विषय है। आप डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। जब मौसम ठंडा पड़ता है और दिन के उजाले कि अबधि घटती है, तो सीजनल अफ्फेक्टिव डिसऑर्डर (एसएडी) होने का खतरा हो जाता है। ठंड बढ़ने के साथ इस बीमारी के मरीज तीन गुना बढ़ गए है। सर्दी के मौसम में तेजी से गिर रहा तापमान व्यस्क व वृद्ध लोगों के लिए भारी मुसीबत बनता जा रहा है। गिरते तापमान के कारण 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोग तेजी से अवसाद (डिप्रेशन) के शिकार हो रहे हैं। मेडिकल कालेज के आंकड़े इसी ओर इशारा कर रहे हैं। हमे अपने आपको सक्रिय बनाए रखने के साथ-साथ एक्सरसाइज भी करते रहना चाहिए। सर्दी के मौसम में सूर्य की रोशनी कम मिलती है। ऐसे में मस्तिष्क के अंदर न्यूरो-ट्रांसमीटर का उत्पादन कम होने लगता है। इसे सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर कहते हैं।
सर्दी के दिनों में हमे सोफे पर या अपने घर में बैठना आसान काम है। हमे हर दिन थोड़ा समय निकालकर धूप को सेंकना चाहिए। इस बीमारी के मरीजों में महिलाएं भी अधिक मात्रा में शामिल हैं। सामान्य दिनों की अपेक्षा इन दिनों काफी मात्रा में पेशेंट आ रहे हैं जो डिप्रेशन का शिकार हैं। इस बीमारी के शिकार व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने का भाव आता है, मन उदास रहता है, उसका मन किसी काम में नहीं लगता है। इसके अलावा भूख भी कम लगने लगती है। डिप्रेशन के शिकार रोगी को रोजाना धूप में एक से दो घंटे जरूर बैठना चाहिए। इसके अलावा कृत्रिम सूर्य की रोशनी के लिए कुछ यंत्र भी उपलब्ध हैं। इसके साथ ही ऐसे मरीजों को डॉक्टर की सलाह से डिप्रेशन की दवाएं जरूर देना चाहिए। अपने सेहत को ताक पर रखकर हमे छुट्टियों पर जाना शोभा नही देता है। यदि हमारी जानकारी आपको पसंद आती है तो हमे लाइक और शेयर करें।