अपनी खाँसी और खरास को हल्के में लेकर आप अपने आपको धोखा दे रहे हैं, tb will atack silently to people dont ignore symptoms
भारत में लाखों लोगों को टीवी की बीमारी चुपचाप निकल रही है। यह कोई असाध्य रोग नहीं है लेकिन लोग अक्सर TB के लक्षणों को हल्की खरास या खाँसी झुकाम मान लेते हैं।एक ताजा रिपोर्ट हाल ही में रिलीज की गई है और इसमें यह बात सामने आई है। टीवी के लगभग 27.9 लाख मामले सामने आ चुके हैं। TB के चलते 4.2 लाख लोगों की मौत हो चुकी है, और हर 1 लाख लोगों में 211 नए संक्रमणों के कारण भारत इस समय दुनिया में टीबी रोगियों की सबसे बड़ी संख्या वाला देश है। भारत में टीबी रोगियों की संख्या सबसे ज्यादा है और बिना पहचान वाले रोगियों की संख्या भी कम नहीं है। ऐसे कई लाख मामले हैं जिनकी पहचान ही नहीं हुई है ना ही इलाज शुरू हुआ। और यह लोग अभी तक स्वास्थ्य विभाग की रेडार पर है ही नहीं।
टीवी एक बहुत ही खतरनाक संक्रामक बीमारी है और इसका इलाज पूरी अवधि के लिए तय दवाये सही समय पर लेने से ही इसे ठीक किया जा सकता है। ड्रग रेजिमन यानी की दवा के पूरे कोर्स को डॉट्स कहा जाता है और इसे TB के राष्ट्रीय नियंत्रण कार्यक्रम के तहत मुक्त दिया जाता है। उच्च गुणवत्ता वाली दवा को एक नियमित अवधि से लगातार सही समय पर लेने पर ही बीमारी का इलाज किया जा सकता है। भारत का सिद्धान्त है कि भारत में जो टीवी के रोगी हैं, उनको बिना रुकावट दवाई मिलनी चाहिए और दूसरा उनकी बीमारी का समय पर पता लगना चाहिए। सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमारे यहां तो लोगों को टीवी होने का पता ही नहीं चलता। मिसिंग डोज़ होने की वजह से क्या होता है कि जो डॉट थेरेपी है उसका मकसद डिफीट हो जाता है, और ठीक तरह से इलाज नहीं हो पाता। जब कोई मरीज पूरी तरह से अपना इलाज नहीं करता तो उससे दूसरे मरीजों को संक्रमण होता है और इससे समस्या बढ़ती चली जाती है। शहरों में जिस तरह वायु प्रदूषण देखने को मिलता है उससे और ज्यादा खतरा बढ़ गया है क्योंकि दूषित हवा में सांस लेने से होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।