पेट्रोल नहीं पर दवाएं जरूर हो जाएंगी सस्ती, सरकार ला रही नया फाॅर्मूला
दवाओं की मूल्यों पर अंकुश लगाने के लिए मोदी सरकार नई मूल्य निर्धारण प्रणाली ला रही है, इसके अनुसार फार्मा उत्पादों के लिए नया प्राइस इंडेक्स बनेगा जो देश में दवाओं पर नियंत्रण करेगा। इस प्राइस इंडेक्स में सभी दवाओं को शामिल किया जाएगा। अभी 850 दवाओं की मूल्यों पर सरकार का ही नियंत्रण है। राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) इन दवाओं के मूल्य हर साल निर्धारित करते हैं। कीमतों को तय करने का आधार थोक मूल्य सूचकांक डब्ल्यूपीआई है। आभी जो इससे बाहर हैं उनकी भी कीमतें भी साल में 10 प्रतिसत से ज्यादा नहीं बढ़ा पाएंगी। केंद्र सरकार प्राइस इंडेक्स विकसित कर रही है। यह प्रस्ताव अंतिम चरण में है और इसे जून के अंत तक नोटिफाई कर दिया जाएगा। यह नॉन शिड्यूल्ड दवाओं की कीमतों का नियमन भी करेगा इस प्रस्ताव को नीति आयोग की सिफारिशों के आधार पर तय किया गया है। अभी 17 प्रतिसत हिस्से पर सरकार का नियंत्रण है। फार्मा उद्योग ने दवाओं की कीमतों को डब्ल्यूपीआई के आधार पर तय होने का विरोध भी किया था।
कैसे तय होती है दवा की कीमत- मौजूदा व्यवस्था में सरकार करीब 850 दवाओं के मूल्य तय करती है। यह मूल्य संशोधन डब्ल्यूपीआई के आधार पर होता है। अन्य सभी दवाओं का मूल्य सिर्फ 10 फीसदी तक बढ़ाने की छूट है। अब नये इंडेक्स के अनुसार बढ़कर 100 फीसदी हो जाएंगी, जो कि पहले 17 प्रतिसत थी। इससे फायदा यह होगा कि सरकार दवाओं की कीमत अपने हिसाब से तय करेगी, जो कि सभी लोगों के बजट के अनुसार होगी। जल्दी ही इस पर अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा और फिर पेट्रोल की तरह इसके मूल्यों में ज्यादा बदलाब नही हो पायेगा।